भीड़ में खोया आदमी PDF डाउनलोड करें

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भीड़ में खोया आदमी

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Hindi

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Books

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15/06/2023

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भीड़ में खोया आदमी PDF डाउनलोड करें

यदि आप Bheed Mein Khoya Aadmi Story PDF in Hindi ढूंढ रहे हैं, तो आप सही जगह पर हैं। इस पोस्ट के अंत में, हमने लीलाधर शर्मा पर्वतीय द्वारा भीड़ में खोया आदमी पीडीएफ सीधे मुफ्त में डाउनलोड करने के लिए एक बटन जोड़ा है।

भीड़ में खोया आदमी PDF

बढ़ती हुई जनसंख्या के प्रति जनता के मन में जागरूकता लाने के लिए इस निबंध की रचना की गई है । लेखक ने , अपने अपने मित्र श्यामलाकांत के परिवार के माध्यम से बढ़ती हुई जनसंख्या से उत्पन्न होने वाले संकटों और समस्याओं की ओर लेखक का ध्यान आकर्षित करवाया है, घरों, दफ्तरों, राशन की लाइनों, स्टेशनों, सड़कों आदि का उदाहरण देकर यह समझाया है कि बढ़ती हुई आबादी के लिए अधिक आवास , अन्य तथा रोजगार के अवसर चाहिए परंतु दुर्भाग्य से हमारे देश में साधन सीमित है । लेखक जनसंख्या को सीमित करने के लिए परिवार को सीमित करने का संदेश देने में पूर्णत: सफल हुआ है।

भीड़ में खोया आदमी कहानी के मुख्य बिंदु

  • लेखक के एक मित्र बाबू श्यामलाकांत सीधे-सादे, परिश्रमी, ईमानदार किंतु जिंदगी में बड़े लापरवाह हैं।
  • उम्र में लेखक से छोटे हैं, परंतु अपने घर में बच्चों की फौज खड़ी कर ली है।
  • पिछली गर्मियों में लेखक को उनकी लड़की के विवाह में सम्मिलित होने के लिए हरिद्वार जाना पड़ा। गाड़ियों में अत्यधिक भीड़ के कारण उन्हें बिना आरक्षण के ही जाना पड़ा।
  • लक्सर में गाड़ी बदलते वक्त लेखक ने देखा कि पूरी ट्रेन की छत यात्रियों से पटी पड़ी है। वह सोचता है कि अपने प्राणों को संकट में डालकर लोग इस प्रकार यात्रा करने के लिए क्यों मजबूर हैं ?
  • श्यामलाकांत जी के बड़े लड़के दीनानाथ को पढ़ाई पूरी किए दो वर्ष हो गए हैं, परंतु वह अभी भी नौकरी की तलाश में भटक रहा है। हजारों व्यक्ति पहले से ही नौकरी के लिए लाइन में लगे हैं।
  • मित्र के छोटे-से मकान में भरे हुए सामान और बच्चों की भीड़ देखकर लेखक का दम घुटने लगता है। दो वर्ष तक भटकने के बाद उन्हें सिर छिपाने के लिए यह छत मिली थी।
  • शहर पहले की तुलना में कई गुना फैल चुके हैं। नई कॉलोनियाँ बन गई हैं, परंतु फिर भी लोग मकानों के लिए भटक रहे हैं। जनसंख्या बढ़ रही है परंतु मकान और खाद्यान्न कम हो रहे हैं।
  • तभी श्यामला जी की पत्नी जलपान लेकर आई। उनके पीछे उनकी तीन छोटी लड़कियाँ और पल्ला पकड़े दो छोटे लड़के थे ।
  • उनकी दुर्बल काया और पीले चेहरे को देखकर लेखक ने उनसे पूछा कि क्या डॉक्टर को दिखाकर वे अपना इलाज करवा रही हैं ?
  • उन्होंने बताया कि वे डॉक्टर को दिखाने गई थी, परंतु आजकल अस्पतालों में इतनी भीड़ होती है कि डॉक्टर भी मरीजों को ठीक से देख ही नहीं पाते।
  • मित्र की पत्नी बोलीं कि उनकी तबीयत ठीक न रहने के कारण वे विवाह के कपड़े दर्जी से सिलवाना चाहती थी।
  • हर दर्जी ने पहले से सिलने आए कपड़ों का ढेर दिखाकर अपनी मजबूरी जाहिर कर दी। दुकानें तो पहले से कहीं अधिक खुल गई हैं, परंतु ग्राहकों की बढ़ती भीड़ के कारण वे अब भी कम पड़ रही हैं।
  • तभी मित्र का दूसरा बेटा हारा-थका अपनी माँ से चाय का एक कप बनाने के लिए कहता है क्योंकि उसका सारा दिन राशन की दुकान पर लग गया, पर फिर भी पूरा सामान नहीं मिला।
  • लेखक सोच में पड़ जाता है कि सुख-सुविधाओं का विस्तार होने के बावजूद लोगों की ज़रूरतें पूरी क्यों नहीं हो पा रही हैं ? जहाँ देखो भीड़ ही भीड़ है।
  • घर में बच्चों के पालन-पोषण, रहन-सहन और शिक्षा की यदि पूरी व्यवस्था न हो, तो बच्चों की यह भीड़ में दुखदायी बन जाती है।
  • बीमारी कुपोषण से, गंदे और संकीर्ण मकानों के दूषित वातावरण से होती है।
  • यदि सीमित परिवार हो, स्वच्छ जलवायु हो और खाने के लिए भरपूर भोजन सामग्री हो, तो बीमारी से बचा जा सकता है।
  • बढ़ती जनसंख्या के कारण अनुशासन नहीं रहता, दुर्घटनाएँ बढ़ती हैं, समय, शक्ति और धन व्यय करके भी व्यक्ति के कार्य सिद्ध नहीं हो पाते। वह स्वयं भी भीड़ में खो जाता है।

अगर आप भीड में खोया आदमी कहानी हिंदी में PDF डाउनलोड करना चाहते हैं तो इस पोस्ट के अंत में दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें|

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भीड में खोया आदमी पूरा पाठ PDF डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें। कुछ सेकंड के भीतर, भीड़ में खोया आदमी पाठ का सारांश उद्देश्य आपके डिवाइस पर होगा।

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