दुर्गा सप्तश्लोकी पाठ PDF | Durga Saptashloki in Hindi

Durga Saptashloki Hindi PDF

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दुर्गा सप्तश्लोकी पाठ

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Hindi

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21/06/2023

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दुर्गा सप्तश्लोकी पाठ PDF | Durga Saptashloki in Hindi

यदि आप दुर्गा सप्तश्लोकी पाठ PDF ढूंढ रहे हैं, तो आप सही जगह पर हैं। इस पोस्ट के अंत में, हमने दुर्गा सप्तश्लोकी हिंदी अर्थ सहित PDF सीधे मुफ्त में डाउनलोड करने के लिए एक बटन जोड़ा है।

दुर्गा सप्तश्लोकी पाठ

।। अथ श्री सप्तश्लोकी दुर्गा ।।

।। शिव उवाच ।।

देवी त्वम भक्तसुलभे सर्वकार्य विधायनी कलौ हि कार्यसिद्धयर्थ मुपायं ब्रूहि यतनत: ।।
अर्थात: शिव जी बोलेहे देवी! तुम भक्तो के लिए सुलभ हो और आप समस्त कर्मो का विधान करती हो, कलियुग में सभी कामनाओ की सिद्धि हेतु यदि कोई उपाय हो तो उसे अपनी वाणी द्वारा कहिए।

।। देव्यु उवाच ।।

श्रृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम् मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते ।।
अर्थात: देवी बोलींहे देव, आपका मेरे ऊपर बहुत स्नेह है. कलियुग में समस्त कामनाओ की सिद्धि हेतु जो उपाय है वह बतलाती हूं। सुनिए वह साधनअम्बा स्तुतिहै।

।। विनियोगः ।।

अस्य श्रीदुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्र मन्त्रस्य नारायण ॠषिः अनुष्टुप छन्दः श्रीमहाकाली

महालक्ष्मी महासरस्वत्यो देवताः श्री जगदम्बा प्रीत्यर्थं सप्तश्लोकी दुर्गापाठे विनियोगः ।।

अर्थात: दुर्गा सप्तश्लोकी मंत्र के श्रीनारायण ऋषि हैं. अनुष्टुप छंद हैं. श्रीमहाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती इसके देवता हैं. श्री दुर्गा की प्रसन्नता के लिए सप्तश्लोकी दुर्गा पाठ का विनियोग किया गया है।

ज्ञानिनामपि चेतांसि देवि भगवती हिसा

बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ।। 1 ।।

अर्थात: वे महामाया देवी, ज्ञानिओ के भी चित्त को खींचकर बलपूर्वक मोह, माया में डाल देती हैं।

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि
दारिद्रयदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द चित्ता ।।2।।

अर्थात: आप स्मरण करने वालो का भय हर लेती है, स्वस्थ मनुष्यो द्वारा ध्यान करने पर, परम कल्याणमयी बुद्धि प्रदान करती हो। दुःख दारिद्रता और भय को हर लेने वाली तथा सबका उपकार करने वाली देवी आपके जैसा कौन दयालु है।

सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके

शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ।।3।।

अर्थात: आप सब मंगल करने वाली मंगलमयी हो, सबका कल्याण करने वाली शिवा हो। शरणागत वत्सला, तीन नेत्रों वाली गौरी हो। नारायणी तुम्हे नमस्कार है।

शरणागतदीनार्तपरित्राणय परायणे

सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ।।4।।

अर्थात: शरण मे आए हुए दीनो और दुःखियो रक्षा करने वाली हो | नारायणी देवी, आप सबकी पीड़ा हरने वाली हो। आपको नमस्कार है।

सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते

भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवी नमोऽस्तु ते ।।5 ।।

अर्थात: सर्वस्वरूपा, सर्वेश्वरी, सर्व शक्तियो से संपन्न दुर्गा देवी, सभी प्रकार के भय से आप हमारी रक्षा करो माता। आपको नमस्कार है।

रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्

त्वामाश्रितानां विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति ।।6 ।।

अर्थात: माता आप प्रसन्न होती है तो कोई रोग शेष नहीं रहता और जब आप रुष्ट होती है तो सब कुछ नष्ट कर देती है। जो मनुष्य आप की शरण मे होते है वो दुसरो को शरण देते है।

सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि

एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरि विनाशनम् ।।7 ।।

अर्थात: जो मनुष्य आप की शरण मे जाते है, उनकी सभी बाधाओं को आप शांत कर देती है। इसी प्रकार आप तीनों लोकों की सब बाधाओ को शांत कर दीजिये। हे देवी हमारे शत्रुओ का नाश कीजिये

।। इति श्रीसप्तश्लोकी दुर्गा संपूर्णम् ।।

।। नम: चण्डिकाए ।। श्री दुर्गा अर्पणमस्तु ।।

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