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Kathopanishad PDF Hindi
कठोपनिषद कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखा है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है।
कृष्ण यजुर्वेद शाखा का यह उपनिषद अत्यन्त महत्त्वपूर्ण उपनिषदों में है। इस उपनिषद के रचयिता कठ नाम के तपस्वी आचार्य थे। वे मुनि वैशम्पायन के शिष्य तथा यजुर्वेद की कठशाखा के प्रवृर्त्तक थे।
इसमें दो अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में तीन-तीन वल्लियां हैं, जिनमें वाजश्रवा के पुत्र नचिकेता और यम के बीच संवाद हैं। भर्तु प्रपंच ने कठ और बृहदारण्यक उपनिषदों पर भी भाष्य रचना की थी।
यह उपनिषद आत्म-विषयक आख्यायिका से आरम्भ होती है । प्रमुख रूप से यम नचिकेता के प्रश्न प्रतिप्रश्न के रुप में है। वाजश्रवा लौकिक कीर्ति की इच्छा से विश्वजित याग का अनुष्ठान करते हैं । याजक अपनी समग्र सम्पत्ति का दान कर दे यह इस यज्ञ की प्रमुख विधि है ।
इस विधि का अनुसरण करते हुए उसने अपनी सारी सम्पत्ति दान कर दी । वह निर्धन था इसलिए उसके पास कुछ गायें पीतोदक (जो जल पी चुकी हैं ) जग्धतृण (जो घास खा चुकी हैं अर्थात जिनमें घास खाने की सामर्थ्य नहीं है ) दुग्धदोहा (जिनका दूध दुह लिया गया है) निरिन्द्रिय(जिनकी प्रजनन शक्ति समाप्त हो गयी है ) और दुर्बल थीं । पिता उन गायों को यदि दान करते हैं तो निश्चय ही पुण्य नहीं प्राप्त होगा, जिससे किया जा रहा यज्ञ विफल न हो वैसा मुझे करना चाहिए यह सोचकर उसका पुत्र नचिकेता अपने पिता से, ‘मुझे किसे दोगे’ ऐसा दो तीन बार पूँछता है । तब क्रोधित होकर पिता ने ‘यम को दूंगा’ ऐसा बोला ।
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