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Narayan Kavach Gita Press Hindi
नारायण कवच गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित एक महत्वपूर्ण हिंदी पाठ्यपुस्तक है जो धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताओं का पालन करते हुए व्यक्ति को उसके जीवन में शक्ति और उत्तरदायित्व की भावना प्रदान करता है।
यह पुस्तक ‘नारायण कवच’ के रूप में जानी जाती है, जिसमें भगवान विष्णु के संरक्षण मंत्र और कवच का संकलन किया गया है।
अङ्गन्यासः
ऊँ ऊँ नमः — पादयोः (दाहिने हाथ की तर्जनी और अंगुठा इन दोनों को मिलाकर दोनों पैरों का स्पर्श करें)
ऊँ नं नमः — जानुनोः (दाहिने हाथ की तर्जनी और अंगुठा इन दोनों को मिलाकर दोनों घुटनों का स्पर्श करें)
ऊँ मों नमः — ऊर्वोः (दाहिने हाथ की तर्जनी और अंगुठा इन दोनों को मिलाकर दोनों पैरों की जाँघो का स्पर्श करें)
ऊँ नां नमः — उदरे (दाहिने हाथ की तर्जनी और अंगुठा इन दोनों को मिलाकर पेट का स्पर्श करें)
ऊँ रां नमः — हृदि (मध्यमा, अनामिका और तर्जनी से हृदय का स्पर्श करें)
ऊँ यं नमः – उरसि (मध्यमा, अनामिका और तर्जनी से छाती का स्पर्श करें)
ऊँ णां नमः — मुखे (तर्जनी और अँगुठे के संयोग से मुख का स्पर्श करें)
ऊँ यं नमः — शिरसि (तर्जनी और मध्यमा के संयोग से सिर का स्पर्श करें)
करन्यासः
ऊँ ऊँ नमः — दक्षिणतर्जन्याम् (दाहिने अँगुठे से दाहिने तर्जनी के सिरे का स्पर्श करें)
ऊँ नं नमः —-दक्षिणमध्यमायाम् (दहिने अँगुठे से दाहिने हाथ की मध्यमा अँगुली का ऊपर वाला पोर स्पर्श करें)
ऊँ मों नमः —दक्षिणानामिकायाम् (दहिने अँगुठे से दाहिने हाथ की अनामिका के ऊपर वाला पोर स्पर्श करें)
ऊँ भं नमः —-दक्षिणकनिष्ठिकायाम् (दाहिने अँगुठे से हाथ की कनिष्ठिका के ऊपर वाला पोर स्पर्श करें)
ऊँ गं नमः —-वामकनिष्ठिकायाम् (बाँये अँगुठे से बाँये हाथ की कनिष्ठिका के ऊपर वाला पोर स्पर्श करें)
ऊँ वं नमः —-वामानिकायाम् (बाँये अँगुठे से बाँये हाँथ की अनामिका के ऊपर वाला पोर स्पर्श करें)
ऊँ तें नमः —-वाममध्यमायाम् (बाँये अँगुठे से बाये हाथ की मध्यमा के ऊपर वाला पोर स्पर्श करें)
ऊँ वां नमः —वामतर्जन्याम् (बाँये अँगुठे से बाँये हाथ की तर्जनी के ऊपर वाला पोर स्पर्श करें)
ऊँ सुं नमः —-दक्षिणाङ्गुष्ठोर्ध्वपर्वणि (दाहिने हाथ की चारों अँगुलियों से दाहिने हाथ के अँगुठे का ऊपर वाला पोर छुए)
ऊँ दें नमः —–दक्षिणाङ्गुष्ठाधः पर्वणि (दाहिने हाथ की चारों अँगुलियों से दाहिने हाथ के अँगुठे का नीचे वाला पोर छुए)
ऊँ वां नमः —–वामाङ्गुष्ठोर्ध्वपर्वणि (बाँये हाथ की चारों अँगुलियों से बाँये अँगुठे के ऊपरवाला पोर छुए)
ऊँ यं नमः ——वामाङ्गुष्ठाधः पर्वणि (बाँये हाथ की चारों अँगुलियों से बाँये हाथ के अँगुठे का नीचे वाला पोर छुए)
विष्णुषडक्षरन्यासः
ऊँ ऊँ नमः ————हृदये (तर्जनी, मध्यमा एवं अनामिका से हृदय का स्पर्श करें)
ऊँ विं नमः ————-मूर्धनि (तर्जनी मध्यमा के संयोग सिर का स्पर्श करें)
ऊँ षं नमः —————भ्रुर्वोर्मध्ये (तर्जनी, मध्यमा से दोनों भौंहों का स्पर्श करें)
ऊँ णं नमः —————शिखायाम् (अँगुठे से सिखा का स्पर्श करें)
ऊँ वें नमः —————नेत्रयोः (तर्जनी, मध्यमा से दोनों नेत्रों का स्पर्श करें)
ऊँ नं नमः —————सर्वसन्धिषु (तर्जनी, मध्यमा और अनामिका से शरीर के सभी जोड़ों। जैसे – कंधा, घुटना, कोहनी आदि को स्पर्श करें)
ऊँ मः अस्त्राय फट् — प्राच्याम् (पूर्व की ओर चुटकी बजाएँ )
ऊँ मः अस्त्राय फट् –आग्नेय्याम् (अग्निकोण में चुटकी बजायें)
ऊँ मः अस्त्राय फट् — दक्षिणस्याम् (दक्षिण की ओर चुटकी बजाएँ)
ऊँ मः अस्त्राय फट् — नैऋत्ये (नैऋत्य कोण में चुटकी बजाएँ)
ऊँ मः अस्त्राय फट् — प्रतीच्याम् (पश्चिम की ओर चुटकी बजाएँ)
ऊँ मः अस्त्राय फट् — वायव्ये (वायुकोण में चुटकी बजाएँ)
ऊँ मः अस्त्राय फट् — उदीच्याम् (उत्तर की ओर चुटकी बजाएँ)
ऊँ मः अस्त्राय फट् — ऐशान्याम् (ईशानकोण में चुटकी बजाएँ)
ऊँ मः अस्त्राय फट् — ऊर्ध्वायाम् (ऊपर की ओर चुटकी बजाएँ)
ऊँ मः अस्त्राय फट् — अधरायाम् (नीचे की ओर चुटकी बजाएँ)
श्री हरिः अथ श्रीनारायणकवच ( श्रीमद्भागवत स्कन्ध 6 , अ। 8 )
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