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Transfer of Power Agreement 1947 Hindi
सत्ता हस्तांतरण समझौता 1947 यानी भारत की स्वतंत्रता की संधि। यह इतनी खतरनाक संधि है कि अगर आप 1615 से 1857 तक अंग्रेजों द्वारा की गई संधि पर नजर डालें तो अगर हम सभी 565 संधियों या कहें साजिशों को जोड़ दें तो ये उससे भी ज्यादा खतरनाक संधि है| 14 अगस्त 1947 की रात जो कुछ हुआ वह आज़ादी नहीं बल्कि सत्ता का हस्तांतरण था।
पंडित नेहरू और लॉर्ड माउंटबेटन के बीच एक समझौता हुआ| सत्ता का हस्तांतरण और स्वतंत्रता दो अलग-अलग चीजें हैं। सत्ता का हस्तांतरण कैसे किया जाता है?
आपने देखा होगा कि एक पार्टी की सरकार होती है, वह चुनाव हार जाती है, दूसरी पार्टी की सरकार आती है, फिर जब दूसरी पार्टी का प्रधानमंत्री शपथ लेता है, तो वह शपथ लेने के तुरंत बाद एक रजिस्टर पर हस्ताक्षर करता है, आप लोग आपमें से कई लोगों ने देखा होगा, जिस रजिस्टर पर आने वाले प्रधान मंत्री हस्ताक्षर करते हैं, उसी रजिस्टर को सत्ता हस्तांतरण की पुस्तक कहा जाता है और पुराने प्रधान मंत्री उस पर हस्ताक्षर करने के बाद सत्ता नए प्रधान मंत्री को सौंप देते हैं। और बूढ़ा प्रधान मंत्री बाहर चला जाता है।
यह नाटक 14 अगस्त 1947 की रात 12 बजे हुआ था| लॉर्ड माउंटबेटन ने अपनी सत्ता पंडित नेहरू को सौंप दी थी और हमने कहा था कि स्वराज्य आ गया है। कैसा स्वराज्य और कैसा स्वराज्य? अंग्रेजो के लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? और हमारे लिए स्वराज्य का मतलब क्या था ? इसे भी समझें. अंग्रेज कहते थे कि हमने स्वराज्य दे दिया है, इसका मतलब यह है कि अंग्रेजों ने अपना शासन आपको सौंप दिया है ताकि आप कुछ दिनों तक इसे चला सकें, जब जरूरत पड़ेगी तो हम फिर आ जायेंगे।
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